ऐ पवन ! यूँ स्पर्श न करो मुझे , हम किसी की अमानत हो गए हैं । ऐ पवन ! यूँ स्पर्श न करो मुझे , हम किसी की अमानत हो गए हैं ।
चाहे राह अधर्म की, साथ नहीं छोड़े दोस्त, कर्ण ने निभाया ऐसी, रीत होना चाहिए चाहे राह अधर्म की, साथ नहीं छोड़े दोस्त, कर्ण ने निभाया ऐसी, रीत होना चाहिए
हर रीत सीखा देना सजन अपने घर आंगन में। हर रीत सीखा देना सजन अपने घर आंगन में।
सदभावना, एकता और शांति के गीत गाती, वसुधैव कुटुंबक का रीत आज भी निभाती। सदभावना, एकता और शांति के गीत गाती, वसुधैव कुटुंबक का रीत आज भी निभाती।
नारी कितना ही करदे अपनों का फिर भी तारीफ कभी नहीं पाई है नारी कितना ही करदे अपनों का फिर भी तारीफ कभी नहीं पाई है
कभी बहन, कभी नानी, कभी दादी की डोरी से जुड़ी फिर कैसे तुम हो पराई। कभी बहन, कभी नानी, कभी दादी की डोरी से जुड़ी फिर कैसे तुम हो पराई।